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पुलिस वाले को देखकर जनता को भयमुक्त लगना चाहिए डर नही-मिथिलेश कुमार

नालंदा(बिहार)।

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हमारा देश भारत जिसे सोने की चिड़िया कभी कहा जाता था,लेकिन विदेशियों की नजर हमारे देश में पड़ी और हम गुलामी की जंजीर में जकड़ गए। लेकिन हमारे देश के क्रांतिवीरों ने अपने खून से इंकलाब लिखते हुए देश को आजादी दिला दी,लेकिन कुछ सरकारी बाबुओं की वजह से आज भी शर्मिन्दगी महशुश करनी पड़ती है।

इस लेख में मैं पूरा फोकस पुलिस के कामो में करना चाहता हूँ। इसलिए इस लेख को पूरा अवश्य पढ़ें।

आये दिन कई ऐसे तस्वीर देखने को मिलता है जिसमें पुलिस वाले ट्रक चालक से ट्रक के ऊपर चढ़कर पैसा लेते दिख जाते है। यदि ट्रक वाला कुछ गलती किया है तो नियमतः जो सजा या फाइन है वो होना चाहिए,ताकि सरकारी कोष में उस राशि को जमा किया जा सके। सरकारी कोष का पैसा वापस विकास के नाम हमलोगों तक ही पहुँचता है,लेकिन पुलिस वाले ट्रक ड्राइवर को मजबूर करके जो पैसे लिए उससे पुलिस वाले कि जेब तो भर गई लेकिन राज्य और देश के कुछ हिस्से को राशि गलत तरीके से किसी का निजी हो जाता है। इतना ही नही पुलिस वाले पेट्रोल्लिंग करते है। जब आम जनता किसी कारण से रात्रि में चलती है तो पेट्रोल्लिंग की गाड़ी देखकर उसके अंदर भय खत्म हो जाना चाहिए,लेकिन कुछ पुलिस वाले कि वजह से भयमुक्त नही बल्कि भय महशुश हो जाता है। क्योंकि कुछ ऐसे पुलिस वाले पेट्रोल्लिंग करते है,जो रास्ते में देखते रहते है कि कोई सड़क में बाहरी मिल जाये,अकेला मिल जाये जिसे परेशान करके,डरा करके कुछ पैसे ले सकूँ। जरा सोचिए इस तरह की घटना जिसके साथ हुई हो वो व्यक्ति पुलिस वाले को देखकर कभी भयमुक्त होगा। पुलिस पब्लिक रिस्ते को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाया गया,जिसमें दो कार्यक्रम में मैं खुद भाग लिया हूँ। एक कार्यक्रम में पुलिस पब्लिक रिस्ते पर स्कूली बच्चों के साथ भाषण प्रतियोगिता कराया गया था,जिसमें मैं जज मंडली में शामिल था। एक प्रतियोगिता मैराथन दौड़ की थी जिसमें सैकड़ो युवक युवतियों ने भाग लिया था। ऐसा लग रहा था जैसे सही में जनता के बीच पुलिस की छवि में सुधार होगा। परंतु कुछ घटना ऐसी होती है,जिसे देखने,सुनने के बाद ऐसा लगता है कि ये सब केवल दिखावा है। बिहार जहाँ अतिथि देवो भव कहा जाता है,लेकिन कैसा अतिथि देवो भव। जब दूसरे राज्य की वाहन नजर आ जाती है पुलिस वाले नोचने के लिए दौड़ पड़ते है। जरा सोचिए जब वो वापस अपने राज्य जाएगा तो आपके राज्य का कौन सा छवि लेकर जाएगा। जाँच कीजिये लेकिन पूरे ईमानदार से। यदि गलत है तो गिरफ्तारी होनी चाहिए और सही है तो सम्मान के साथ अभिवादन करते हुए मुस्कुराहट के साथ विदा करना चाहिए ताकि आम जनता के साथ पुलिस वाले कि ईमानदारी का बखान कर सके। इससे स्वतः पुलिस वाले का मान सम्मान बढ़ना शुरू हो जाएगा। लेकिन जरा सोचिए बिना गलती के डरा कर ,किसी को मजबूर कर उससे पैसे लेने की कोशिश करेंगे तो आपकी छवि कैसी बनेगी। ऐसा नही है कि सभी पुलिस वाले ऐसा होते है या ज्यादातर पुलिस वाले ऐसा होते है। परंतु कुछ पुलिस वाले भी ऐसा है तो जनता के साथ अच्छा संबंध बन पाना मुश्किल है। पुलिस वाले हो या अन्य इस तरह से कमाये पैसे जब आप अपने बच्चों में खर्च करेंगे तो याद रखिये उसमें उस व्यक्ति की बददुवा भी है,जो आपके बच्चों पर आप पर कभी न कभी अपना रूप जरूर दिखाएगी। अपने ईमान को बेचकर कब तक ऐसा करेंगे ऊपर वाले के पास देर है अंधेर नही वो एक दिन जरूर सजा देगा। अंत में पुलिस वालों से आग्रह करना चाहूंगा का जनता के साथ अच्छे संबंध बनाइये यह देश आपका है जिसे वापस पाने के लिए कई लोगो ने हँसते -हँसते अपनी कुर्बानी दे दी। वे आपके पूर्वज थे। हालाँकि ये तो मैं उम्मीद नही करता हूँ कि ऐसे पुलिस वाले एक ही दिन में सुधर जाएंगे,लेकिन एक भी पुलिस वाले का आत्मा यदि सुधारने का बोल दे तो मेरी लेखनी सफल हो जाएगी। ये कभी नही आप सोचे कि यदि जनता आपको पैसे देने के लिए तैयार हो गयी है तो वह डर गया नही गलत वो अपने इज़्ज़त बचाने के लिए भी मजबूर होकर आपको दे रहा होगा,क्योकि उसे लगता है कि कुछ भी आरोप लगाकर पूरी जिंदगी आप दाग लगवा सकते है।
मिथिलेश कुमार
सोशल मीडिया एक्टिविस्ट
(सदस्य आल इंडिया मीडिया एसोसिएशन)

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